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Chhapiheda,mp.:-Ganesh chaturthi.

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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय में गणेश चतुर्थी के उपलक्ष में ब्रह्माकुमारी सीमा ने श्री गणेश चतुर्थी के आध्यात्मिक रहस्य से सभी को अवगत कराया।उन्होंने बताया की गणेश को गणपति भी कहते है अर्थात् गुणों को धारण करने वाले गणपति।उन्हें विघ्न विनाशक,विघ्नहर्ता कहा जाता है, इसीलिए किसी भी शुभ एवं धार्मिक आयोजनों का शुभारंभ स्वास्तिक बनाकर या गणेश पूजा के द्वारा किया जाता है। गणेश जी ज्ञानवान, बुद्धिमान व्यक्ति का प्रतीक है।उनकी छोटी आंखे दूरदृष्टि का प्रतीक है।उनका विशाल मस्तक विवेकशीलता का,उनका बड़ा पेट स्वीकारने,समाने की शक्ति का प्रतीक है।छोटा मुख कम बोलने का प्रतीक है। सूप की तरह कान शुभ ग्रहण करने व अशुभ को त्यागने का प्रतीक है।लंबी सूंड कार्यकुशलता का प्रतीक है,बुरी आदतों को जड़ से उखाड़ने व सबको स्नेह,सम्मान देने का भाव छिपा है।मूषक की सवारी अर्थात इच्छाओं,विकारों,बुराइयों को अपने वश में कर चलना। गणेश जी को चार भुजाएं दी गई है और उनमें चार अलंकार दिये गए है।एक हाथ में कुल्हाड़ी जिससे मोह के बंधन को काटना है,दूसरे हाथ में रस्सी अर्थात मर्यादा,नियमों के बंधन में बंधना है, तीसरे हाथ में मोदक मुदित रहने का प्रतीक है,चौथा हाथ वरदानी है जो शुभ सोचने का प्रतीक है।
अंत में सभी ने मिलकर श्री गणेश जी की आरती की और उनके समान बनने का दृढ़ संकल्प किया।

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Bakhed,m.p.:- Geeta pravachan.

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Khujner,M.P.:- Navratri jhanki 2022

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Chhapiheda,m.p.:- Rajyog shivir

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Brahma Kumaris Rajgarh Biaora