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Rajgarh (M.P.):-” ईश्वरीय ज्ञान द्वारा खुशहाल जीवन ” शिविर का शुभारम्भ l
हमें अपने जीवन में सबसे अधिक आवश्यकता जिस चीज की है वह वह है सुख, शांति ,प्रेम आनंद पवित्रता ,ज्ञान और शक्ति की।जो हमें बाहरी सुख-सुविधाओं से नहीं मिल सकती या बाजार से हम खरीद नहीं सकते ।ये साधु गुण आत्मा के अंदर ही निहीत है । यही आत्मा का असली स्वधर्म है, स्वभाव है और यही हम सब आत्माओं की चाहना है। उक्त विचार करेड़ी ग्राम में चल रहे ‘शांति एवं खुशी के लिए परमात्मा ज्ञान ‘ वार्षिक थीम के चलते “ईश्वरीय ज्ञान से खुशहाल जीवन” नामक पांच दिवसीय शिविर के तहत ब्रह्माकुमारी सीमा बहन ने कही । प्रथम दिन आत्म दर्शन दिवस मनाते हुए ‘मन बन जाए सुमन ‘ विषय पर करेड़ी निवासी भाई बहनों को विस्तार से समझाया गया । उन्होंने बताया कि हमें मन को सुमन बनाना है सुमन अर्थात पुष्प हमें पुष्प की तरह हर्षित मुख रहना है सु अर्थात शुभ । हमें अपने मन को शुभ अर्थात अच्छा सोचने वाला बनाना है । साथ ही ईश्वरीय ज्ञान से हम अपने जीवन को खुशहाल खुशनुमा बनाना हैं । अज्ञानता के कारण ही हम अपने जीवन में छोटी छोटी बातों को लेकर दुखी हो जाते हैं। हमें स्वयं को ईश्वरीय ज्ञान से भरपूर करना है ताकि हमारा जीवन खुशियों से भरपूर हो जाए । आत्मा का दर्शन कराते हुए ब्रम्हाकुमारी सीमा बहन ने कहा की आत्मा इस शरीर को चलाने वाली एक चैतन्य शक्ति है, एक ज्योति है ,अविनाशी सत्ता है, जो शरीर में दोनों भौहों के बीच मस्तक के मध्य विराजमान होती है। आत्मा के बिना शरीर किसी काम का नहीं । आत्मा के अंदर ही 3 सूक्ष्म शक्तियां समाहित है मन के द्वारा हम सोचते हैं ,इच्छा करते हैं ,कल्पना करते हैं । बुद्धि के द्वारा परखते हैं ,निर्णय लेते हैं, चित्र बनाते हैं और संस्कारों अनुसार कर्म करते हैं । जब हम एक कर्म को बार-बार करते है तो वह हमारा संस्कार बन जाता है। कहा जाता है खाली हाथ आए थे खाली हाथ जाएंगे लेकिन नहीं हम सब अपने संस्कारों को ,श्रेष्ठ कर्मों को साथ लेकर जाते हैं और उसके अनुसार ही हमारा अगला जन्म होता है । हमें सब सबके प्रति शुभ भावना ,अच्छी भावना रखनी है ,अच्छा सोचना है क्योंकि इससे फायदा हमारा ही है वह यह कि इससे हमारा मन शांत व खुश रहेगा । व सबकी दुआएं मिलेंगी । शिविर का उद्घाटन राजयोगिनी ब्रम्हाकुमारी मधु दीदी, ब्रम्हाकुमारी सीमा दीदी, मंडी अध्यक्ष हेमंत पवार जी, शर्मा जी ,अरविंद सक्सेना जी ने दीप जलाकर किया । अंत में करेड़ी ग्राम निवासी भाई बहनों को आत्मानुभूति कराते हुए शांति की गहन अनुभूति कराइए गई । साथ ही सबके लिए शुभ सोचने का संकल्प भी करवाया गया । साथ ही साथ मुस्कुराने की एक्टिविटी के द्वारा मुस्कुराहट को जीवन का अंग बनाने की बात भी कही।
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